Bihar : बीजेपी को भनक पहले से ही थी तब भी नितीश कुमार को नहीं रोका बीजेपी आखिर वजह क्या है
2013 की तरह 2022 में एक बार फिर नीतीश कुमार बीजेपी छोड़कर अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू यादव में शामिल हो गए, लेकिन 2013 और 2022 में बड़ा अंतर है, जिसे समझने की जरूरत है. दरअसल, साल 2013 और साल 2022 के बीच का यह अंतर यह बताने के लिए काफी है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार कितने अहम हैं.

2013 में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर बीजेपी को झटका दिया, लेकिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बजाय उन्होंने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों को अपनी सरकार से बर्खास्त कर दिया. था उस वक्त बीजेपी की ओर से कहा गया था कि नीतीश कुमार ने जल्दबाजी में गठबंधन छोड़ने का फैसला किया है.
हाल ही का ट्वीट :-
हमसब (तेजस्वी जी-नीतीश जी) समाजवादी लोग हैं। हमारी पूरखों की विरासत कोई और ले जाएगा क्या? अभी वक़्त है देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने का और हम उसी की लड़ाई लड़ रहे। बिहार की धरती पर आरएसएस-भाजपा का एजेंडा लागू नहीं होने देंगे।
— I Support Tejashwi (@TeamTejashwi) August 9, 2022
– श्री @yadavtejashwi जी। #Bihar pic.twitter.com/NGrhHfjlAN
लेकिन इस बार सब कुछ साफ दिख रहा था. नीतीश कुमार क्या करने वाले हैं, इसकी लंबे समय से राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे। बीजेपी नेताओं को भी पता था कि नीतीश कुमार उन्हें छोड़ने वाले हैं लेकिन सबसे दिलचस्प और हैरान करने वाली बात यह थी कि सटीक जानकारी होने के बावजूद बीजेपी ने इस बार नीतीश कुमार को मनाने की कोई कोशिश नहीं की.
दरअसल, इस बार बीजेपी ने कई कारणों से नीतीश कुमार को समझाने की कोशिश नहीं की क्योंकि उन्हें लगा कि नीतीश कुमार ने अब राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका बढ़ाने का मन बना लिया है और इसके लिए उन्हें बिहार में लालू यादव और दिल्ली में कांग्रेस की जरूरत है. जरूरत हो। सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी को लगता है कि बिहार में नीतीश कुमार की लोकप्रियता तेजी से घटी है.
बिहार के वोटर पे पकड़ ढीली
बिहार बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि बिहार के मतदाताओं पर नीतीश कुमार की पकड़ ढीली हो गई है और जनता को अब सिर्फ बीजेपी से उम्मीद नजर आई है. बीजेपी के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया कि अपनी महत्वाकांक्षाओं, स्वार्थ और जिद के चलते नीतीश कुमार बिहार के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
बीजेपी ने इसका खंडन किया
सोमवार को भी जब जेडीयू खेमे ने सूत्रों का हवाला देते हुए इस खबर को चलाने की कोशिश की कि बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नीतीश कुमार से बात की है, तो बीजेपी ने तुरंत इसका खंडन किया. कोशिश की गई कि बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नीतीश कुमार से बात की हो, लेकिन बीजेपी ने तुरंत इनकार कर दिया.
भविष्य की संभावनाओं और नीतीश कुमार की जिद को देखते हुए भाजपा नेताओं ने नीतीश कुमार को मनाने, उन्हें एनडीए गठबंधन में रखने और सरकार बचाने की कोई कोशिश नहीं की, लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और पार्टी के अन्य नेताओं के बयानों से साफ है कि बीजेपी नीतीश कुमार के धोखे को भुनाने के लिए बड़े पैमाने की रणनीति के तहत बिहार में प्रचार करने जा रही है.