सावन में सूख रहे खेत, आसमान ताक कर रो रहे रहे हैं किसान
संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय जिला प्राकृतिक आपदा से हमेशा लड़ता रहा है। वर्तमान में जिले में सुखाड़ की काली साया मंडरा रही है। विगत तीन महीने से मौसम की दगाबाजी से वर्षा नहीं होने के कारण खरीफ फसल पर संकट गहराता जा रहा है। किसानों की मानें तो चालू सप्ताह के अंत तक अगर वर्षा नहीं हुई तो जिले की स्थिति और भयावह हो सकती है। हाल यह है कि सावन माह में भी खेत सूखा है। उसमें दरारें आ गई है। जिन किसानों ने धान का बिचड़ा लगाया है वह भी बर्बाद होने के कगार पर है। जिले के किसान मौसम की मार एवं सूखे खेत देखकर सुखाड़ की आशंका से सहमे हुए हैं। उधर कृषि विभाग सूखा से निबटने के लिए आकस्मिक वैकल्पिक फसल योजना तैयार कर सरकार से बीज उपलब्ध कराने की मांग की है। जिले के चानन, हलसी, रामगढ़ चौक, लखीसराय प्रखंड में धान की अधिक खेती है इसलिए यहां त्राहिमाम मचा हुआ है। जानकारी के अनुसार में जिले में जुलाई में सामान्य वर्षापात 136 एमएम के विरुद्ध मात्र 27.48 एमएम बारिश हुई। करीब 109 एमएम कम बारिश हुई है।

पानी के अभाव में धान की खेती प्रभावित
जिले में वर्षा नहीं होने के कारण खरीफ फसल खासकर धान की खेती पूरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले में 37,739 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा रोपनी के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध अबतक मात्र 138 हेक्टेयर में बिचड़ा रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है।
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प्रखंडवार धान फसल का लक्ष्य लखीसराय प्रखंड – 5,892 हेक्टेयर
बड़हिया प्रखंड – 585 हेक्टेयर
चानन प्रखंड – 5,026 हेक्टेयर
हलसी प्रखंड – 7,090 हेक्टेयर
रामगढ चौक प्रखंड – 7,959 हेक्टेयर
पिपरिया प्रखंड – 513 हेक्टेयर
सूर्यगढ़ा प्रखंड -10,084 हेक्टेयर
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कोट
जिले में वर्षा नहीं होने के कारण खरीफ मौसम की फसलों की खेती काफी प्रभावित हो रही है। खासकर धान की खेती पर संकट गहराने लगा है। सुखाड़ से निबटने के लिए वैकल्पिक फसल योजना तैयारी की गई है। जिले में सामान्य वर्षापात से काफी कम वर्षा हुई है। उम्मीद है कि अगले सप्ताह में अच्छी बारिश होगी। किसान भूमिगत जल से बिचड़ा को बचा करके रखें। विभाग इसकी लगातार समीक्षा कर रहा है।
राजीव कुमार, जिला कृषि पदाधिकार, लखीसराय