अंग्रेजों से लड़ाई-लड़ते नौ स्वतंत्रता सेनानी ने दिए बलिदानी पर लगेंगे हर बरस मेले..
मुकेश कुमार, लखीसराय : शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का बाकी यही निशां होगा.। स्वतंत्रता आंदोलन में लखीसराय जिले के वीर स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश की आजादी की लड़ाई में जिले के स्वतंत्रता सेनानियों ने बढ़कर हिस्सा लिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अगुआई में नमक सत्याग्रह आंदोलन और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में जिले के स्वतंत्रता सेनानियों ने कुछ करेंगे या मरेंगे के संकल्प के साथ लड़ाई लड़ी थी।

लखीसराय रेलवे स्टेशन के पास मुख्य सड़क पर अवस्थित शहीद द्वार और उसके बगल में उपेक्षित पड़ा शहीद स्थल आज भी जिले के उन रणबांकुरे की याद दिलाता है। जिन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के तहत अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए अपनी कुर्बानी दे दी। शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण शहीद द्वार जर्जर होता जा रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के बलिदानी वीर सपूतों की स्मृति में बना शहीद स्मारक आजादी के 75 वर्षों से उपेक्षित पड़ा हुआ है। —-
अंग्रेजों से लड़ाई-लड़ते नौ स्वतंत्रता सेनानी ने दिए बलिदानी
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 13 अगस्त 1942 को लखीसराय स्टेशन पर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता देख अंग्रेजों ने अंधाधुंध गोली चलानी शुरू कर दी। इसमें सावनडीह के झरी सिंह, सदायबिगहा के बैजनाथ सिंह, सलौनाचक के गुज्जु सिंह, इंदुपुर के बनारसी सिंह, बड़हिया के महादेव सिंह, जुल्मी महतो और परशुराम सिंह, महसोरा के दारो साव ने भारत माता की जय कहकर धरती पर सदा के लिए सो गए। अंग्रेजों ने खून की होली खेली। अपने साथियों की बलिदानी को देख पतनेर के यदुवंश सिंह, अखिलेश्वर सिंह एवं कोचगांव के श्याम सुंदर सिंह आदि ने स्वतंत्रता संग्राम को जिदा रखने तथा देश को आजाद कराने के संकल्प के साथ वहां से भागकर छिप गए। बाद में वे सभी गिरफ्तार कर लिए गए।
Sources – Jagran